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बंगाल के सरकारी स्कूलों में अब सौर ऊर्जा से बनेगा मध्याह्न भोजन

दरअसल केंद्र सरकार ने "प्रधानमंत्री-सूर्य घर : मुफ्त बिजली योजना" की शुरुआत की है। ये योजना भारत सरकार द्वारा 2024-25 के बजट में शुरू की गई एक योजना है, जिसका उद्देश्य लगभग एक करोड़ घरों को सौर ऊर्जा प्रदान करना और छत पर सौर संयंत्र परियोजनाओं के लिए 75 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करके उन्हें हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली प्रदान करना है।

04 May 2025

बंगाल के सरकारी स्कूलों में अब सौर ऊर्जा से बनेगा मध्याह्न भोजन

कोलकाता। सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन को बनाने के लिए प्रदूषण के कारण लकड़ी का उपयोग नहीं किया जाता है। आमतौर पर गैस चूल्हे पर खाना पकाया जाता है। इसकी लागत अधिक पड़ती है। इसे देखते हुए राज्य के सरकारी स्कूलों में सौर ऊर्जा से मध्याह्न भोजन पकाने की योजना बनाई जा रही है।

दरअसल केंद्र सरकार ने "प्रधानमंत्री-सूर्य घर : मुफ्त बिजली योजना" की शुरुआत की है। ये योजना भारत सरकार द्वारा 2024-25 के बजट में शुरू की गई एक योजना है, जिसका उद्देश्य लगभग एक करोड़ घरों को सौर ऊर्जा प्रदान करना और छत पर सौर संयंत्र परियोजनाओं के लिए 75 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करके उन्हें हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली प्रदान करना है।

राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार की इस परियोजना पर काम किया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने लगभग 3,500 स्कूलों में सौर पैनल स्थापित करने की योजना बनाई है। स्कूल का कहना है कि ई-ग्रीन कुकिंग से मध्याह्न भोजन पर्यावरण अनुकूल तरीके से पकाया जा सकेगा।

सूत्रों के अनुसार, शिक्षा विभाग ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह पहल की है। आने वाले दिनों में राज्य के अन्य स्कूलों में भी यह कदम उठाया जाएगा।

राज्य में पहली बार सरकारी पहल के रूप में दमदम पार्क स्थित कृष्णपुर आदर्श विद्या मंदिर में सौर ऊर्जा का उपयोग कर मध्याह्न भोजन पकाने की शुरुआत की गई है। खाना पकाने के लिए इंडक्शन लगाए गए हैं। इस इंडक्शन पर भोजन आसानी से पकाया जा सकता है। जिसे ई-ग्रीन कुकिंग कहा जाता है।

स्कूल प्राधिकारियों ने बताया कि पहले मध्याह्न भोजन के लिए ईंधन के रूप में लकड़ी का उपयोग किया जाता था। उसके बाद खाना पकाने वाली गैस का इस्तेमाल किया गया। दोनों ही मामलों में लागत अधिक आई बल्कि लकड़ी पर पकाने पर पर्यावरण प्रदूषण का खतरा भी था। इसीलिए खाना पकाने की यह नई विधि अपनाई जा रही है। इससे लागत और प्रदूषण कम होगा, साथ ही खाना पकाने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा भी बढ़ेगी। इतना ही नहीं, इससे कम समय में खाना पकाना भी संभव होगा। इस पद्धति से स्कूल में 200 से 250 लोगों के लिए खाना बनाना संभव होगा।

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